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Showing posts from 2017
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ए जिंदगी तू कितनी खूबसूरत थी किसी से मिलने से पहले.... ......नेहा अग्रवाल
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उसे तो शौंक था ही हमेशा से गैरों की बाहों का, और हम नादान, उसकी झूठी मासूमियत के कायल बने रहे... ..... नेहा अग्रवाल
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कोई कलेजा निकाल कर पन्नों पर सजा देता है, पर लोग उस लिखे दर्द को भी वाह कहते हैं... .... नेहा अग्रवाल
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कुछ यूं भिगा दे अपनी मोहब्बत के रंग से कि, जिधर भी देखूं, मुझे इश्क नज़र आये..... ...... नेहा अग्रवाल
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उम्र भर चलती रही तालीम तो मेरी, पर सबक जिंदगी के मुझे बुरे वक्त ने ही दिए.... ..... नेहा अग्रवाल
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मुझे मोहब्बत है किसी से,                ये बताने की जरूरत नहीं... लोग मेरी आंखों में वो देख लेते हैं,             जो तुम पढ़ नहीं पाते हो.......                                                 .....नेहा
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बहुत याद आते हैं मुझे बीते वो लम्हें,          जिनकी यादों के सहारे आज भी जिंदा हूं मैं......                                                        ......नेहा

लौट आओ

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आँखों में खुद की तस्वीर दिखा के,  लबों पे अपने होठों की प्यास जगा के जिस्म से रूह में उतरते हुए,  एक चिंगारी से दिल में आग लगा के चले गए हो तुम हमें तड़पाके…. सुलगता रहा जिस्म, बुझी नहीं प्यास दिल में तुम्हारे आने की, लगी रही आस छूने को तुम्हे दिल चाहता रहा ये पागल तो मन ही मन मुस्काता रहा आहें भरते रहे, हम तड़पते रहे याद में तुम्हारी, दिन रात जलते रहे…. राह तकते नयन, अंगड़ाइयाँ लेता बदन वो बिस्तर की सिलवटें, वो अनछुआ एहसास तुम्हारे बिन तो हमें , आता नहीं कुछ रास आके हमें अब बाहों में भर लो नज़रों से अपनी हमसे बातें कर लो…. छोडो ये शर्म , ये लोगों की परवाह अब तो ज़िन्दगी में अपनी हमें शामिल कर लो…. नेहा….

स्वच्छ भारत

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एक दिन ऐसा आएगा , भारत स्वच्छ हो जायेगा मिलके करेंगे मेहनत हम जब, सुन्दर ये हो जायेगा ! मनभावन हो हर एक उपवन , धुआँ रहित क्षेत्र हो जाये माटी अपनी भीनी सुगन्ध से, हर कोना महकाए उड़ें परिन्दे ऊँचे गगन में, वनों को सांसें आये प्लास्टिक जो आसमान तले, यूँ न जलाई जाये जी जान लगाएं हर प्रयास में, प्रदूषण न बढ़ने पायेगा… एक दिन ऐसा आएगा , भारत स्वच्छ हो जायेगा… बहे न कचरा न कोई रसायन , जल न दूषित हो पाये पावन बन जायें हर   नदियाँ , हर शहर में गंगा आये कुओं में हों मीठा पानी , तालाब न सूखने पाये बारिश की हर एक बूँद , धरा की प्यास बुझाये उठेंगे कदम अब इसी दिशा में , अभियान सफल हो जायेगा… एक दिन ऐसा आएगा , भारत स्वच्छ हो जायेगा… नेहा….

समझ लो

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दर्द -ऐ -दिल  लेकर  कहाँ जाओगे , ज़माना  बुरा  है  फिसल  जाओगे ... फिर  आएगा  गर  ज़ेहन  में  ख्याल  उनका  कभी , मिलने  की  ख्वाइश  में  तड़प  जाओगे … मत  करो  सितम  खुद  पर  यूँ   इस  कदर  ऐ  दोस्त  मेरे  आंसुओं  के  सैलाब  में  गिर , डूब  जाओगे … जानते  ही  हो  कितना  ज़िन्दगी  के  बारे  में , पल -पल  में  नए  दौर  से  गुज़र  जाओगे … साथी  ना  सहारा  ना  हमसफ़र  है  यहाँ  कोई  अपना , वीराने  में  तन्हा  हो  मचल  जाओगे … आखिर  हासिल  ही  क्या  होगा  इस  दीवानगी  और  चाहत  से ..? मैखाने  में  जाकर  बहक  जाओगे … आएगा  ही  कौन  जो  थाम...
चाहा है मैंने तुझे उन लम्हों में भी, जब अकसर अपने अजनबी हो जाते हैं....           ......नेहा अग्रवाल 
क्यों खफा हो गए हमसे लोग ज़माने के, नहीं जानते हैं  वो ही तड़पाते हैं हमें जिन्हें हम अपना मानते हैं....           ....नेहा अग्रवाल 
मेरी हर साँझ को सहारा मिल जाये  गर तुम उम्मीद का उजाला कर दो....       ...नेहा अग्रवाल 
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ना किसी से गिला ना शिकवा करेंगे हम, पर सच तो ये है कि  हमारे पास तुम्हारी यादों के सिवा कुछ भी नहीं... ....नेहा अग्रवाल 

तलाश

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जिन्दगी की तलाश थी, जिन्दगी ना मिली जिस खुशी की तमन्ना की, वो खुशी ना मिली ता-उम्र भटकते रहे हम, इक पल जीने के वास्ते वक्त ने बदल दिए, हर मंजिल के रास्ते तन्हा थे हम, बेबस थे कुछ खाख हो गए इस दिल की आँच से ना बची उम्मीद कोई, ना हौसला रहा उबरने का तूफानों ने उजाड़ दिए थे, किनारे हर समंदर के बिखर गए फिर ना सिमटे, जो टूट गए थे शाख से गिर गए नज़रों में अपनी, दुनिया वालों की बात से टुकडे बनके रह गए बस, संजोए जो ख्वाब थे मिट गए सब दिल से मेरे, अनकहे वो राज़ से ढूँढने जो उजाले गई, अंधेरे सिर्फ हाथ थे मेरे खुशियाँ थी खोई खोई सी, गम से भरे तालाब थे मेरे आज भी बैठे हैं जो लोगों से जुदा अब सितारों में खो गए हम चलो चलते हैं लेकर काफिला यादों का लो दुनिया से अजनबी हो गए हम। -----नेहा अग्रवाल

मंजिल की ओर

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 जीवन   पथ   कठिन   है   ये  , बस आगे   बढते   जाना   है …  मंजिलों   को   अपनी   तुझे   सामने   पाना   है    कोई    रोक   नहीं  , कोई   टोक   नहीं    सपनो   को  साकार   बनाना   है …  राह   मुश्किल   है  ये , जरा   संभलना   होगा    पग  - पग   पर   काँटो   को  भी   झेलना   होगा    इन   सभी   कठिनाइयों   को  पाकर   भी    हिम्मत   हार   न   तुझको   जाना  है    जीवन  पथ  कठिन  है  ये , बस  आगे   बढ़ते  जाना  है …  सोच  , संकोच  , संदेह   और   असफलता      मन  का   भय     कुछ   और  नहीं    लक्ष्य   तेरा   आगे  है  पीछे   अब...

सुबह की चादर

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बीती रैना हुआ सवेरा , लगा ताप किरणों का पहरा   सपनों   से जाग , निंदिया को विदा कर , उज्ज्वल , श्यामल नेत्रों को खोला चहुँ दिशा छाया उजियारा , नील गगन , निर्मल पवन , सुगन्धित है आँगन सारा पंछी चहके , मुर्गा बांगे , कोयल की कूक मतवाली है भँवरे गाते - गुनगुनाते , पुष्पों की महक निराली है विटप के पात हैं भीगे जगमगाती ओस की बूंदों से पाँव तले मिट्टी भी नम है गिरते पानी के गोलों से                              मन आनंदित , तन आनंदित , रोम - रोम है खिल गया                              हो गया चित्त   प्रसन्न , देख कर हरियाली छटा                              चादर फैली है प्रकाश की , अन्धकार को जीत कर आई है           ...