चाहा है मैंने तुझे उन लम्हों में भी,
जब अकसर अपने अजनबी हो जाते हैं....
          ......नेहा अग्रवाल 

Comments

  1. हर ख़ुशी में कोई कमी-सी है
    हँसती आँखों में भी नमी-सी है

    दिन भी चुप चाप सर झुकाये था
    रात की नब्ज़ भी थमी-सी है

    किसको समझायें किसकी बात नहीं
    ज़हन और दिल में फिर ठनी-सी है

    ख़्वाब था या ग़ुबार था कोई
    गर्द इन पलकों पे जमी-सी है

    कह गए हम ये किससे दिल की बात
    शहर में एक सनसनी-सी है

    हसरतें राख हो गईं लेकिन
    आग अब भी कहीं दबी-सी है

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