तलाश

जिन्दगी की तलाश थी, जिन्दगी ना मिली जिस खुशी की तमन्ना की, वो खुशी ना मिली ता-उम्र भटकते रहे हम, इक पल जीने के वास्ते वक्त ने बदल दिए, हर मंजिल के रास्ते तन्हा थे हम, बेबस थे कुछ खाख हो गए इस दिल की आँच से ना बची उम्मीद कोई, ना हौसला रहा उबरने का तूफानों ने उजाड़ दिए थे, किनारे हर समंदर के बिखर गए फिर ना सिमटे, जो टूट गए थे शाख से गिर गए नज़रों में अपनी, दुनिया वालों की बात से टुकडे बनके रह गए बस, संजोए जो ख्वाब थे मिट गए सब दिल से मेरे, अनकहे वो राज़ से ढूँढने जो उजाले गई, अंधेरे सिर्फ हाथ थे मेरे खुशियाँ थी खोई खोई सी, गम से भरे तालाब थे मेरे आज भी बैठे हैं जो लोगों से जुदा अब सितारों में खो गए हम चलो चलते हैं लेकर काफिला यादों का लो दुनिया से अजनबी हो गए हम। -----नेहा अग्रवाल

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

लौट आओ