समझ लो
दर्द -ऐ -दिल लेकर कहाँ जाओगे ,
ज़माना बुरा है फिसल जाओगे ...
फिर आएगा गर ज़ेहन में ख्याल उनका कभी ,
मिलने की ख्वाइश में तड़प जाओगे …
मत करो सितम खुद पर यूँ इस कदर ऐ दोस्त मेरे
आंसुओं के सैलाब में गिर , डूब जाओगे …
जानते ही हो कितना ज़िन्दगी के बारे में ,
पल -पल में नए दौर से गुज़र जाओगे …
साथी ना सहारा ना हमसफ़र है यहाँ कोई अपना ,
वीराने में तन्हा हो मचल जाओगे …
आखिर हासिल ही क्या होगा इस दीवानगी और चाहत से ..?
मैखाने में जाकर बहक जाओगे …
आएगा ही कौन जो थाम लेगा हाथ तुम्हारा ..?
किसके पहलू में जाकर खो जाओगे ..?
अजनबी क्यूँ बन रहे हो अपनी ही पहचान से ..?
ख़त्म करदो मुश्किलों को पार तुम हो जाओगे ...
---नेहा अग्रवाल
---नेहा अग्रवाल
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