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Showing posts from February, 2017

समझ लो

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दर्द -ऐ -दिल  लेकर  कहाँ जाओगे , ज़माना  बुरा  है  फिसल  जाओगे ... फिर  आएगा  गर  ज़ेहन  में  ख्याल  उनका  कभी , मिलने  की  ख्वाइश  में  तड़प  जाओगे … मत  करो  सितम  खुद  पर  यूँ   इस  कदर  ऐ  दोस्त  मेरे  आंसुओं  के  सैलाब  में  गिर , डूब  जाओगे … जानते  ही  हो  कितना  ज़िन्दगी  के  बारे  में , पल -पल  में  नए  दौर  से  गुज़र  जाओगे … साथी  ना  सहारा  ना  हमसफ़र  है  यहाँ  कोई  अपना , वीराने  में  तन्हा  हो  मचल  जाओगे … आखिर  हासिल  ही  क्या  होगा  इस  दीवानगी  और  चाहत  से ..? मैखाने  में  जाकर  बहक  जाओगे … आएगा  ही  कौन  जो  थाम...
चाहा है मैंने तुझे उन लम्हों में भी, जब अकसर अपने अजनबी हो जाते हैं....           ......नेहा अग्रवाल 
क्यों खफा हो गए हमसे लोग ज़माने के, नहीं जानते हैं  वो ही तड़पाते हैं हमें जिन्हें हम अपना मानते हैं....           ....नेहा अग्रवाल 
मेरी हर साँझ को सहारा मिल जाये  गर तुम उम्मीद का उजाला कर दो....       ...नेहा अग्रवाल 
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ना किसी से गिला ना शिकवा करेंगे हम, पर सच तो ये है कि  हमारे पास तुम्हारी यादों के सिवा कुछ भी नहीं... ....नेहा अग्रवाल 

तलाश

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जिन्दगी की तलाश थी, जिन्दगी ना मिली जिस खुशी की तमन्ना की, वो खुशी ना मिली ता-उम्र भटकते रहे हम, इक पल जीने के वास्ते वक्त ने बदल दिए, हर मंजिल के रास्ते तन्हा थे हम, बेबस थे कुछ खाख हो गए इस दिल की आँच से ना बची उम्मीद कोई, ना हौसला रहा उबरने का तूफानों ने उजाड़ दिए थे, किनारे हर समंदर के बिखर गए फिर ना सिमटे, जो टूट गए थे शाख से गिर गए नज़रों में अपनी, दुनिया वालों की बात से टुकडे बनके रह गए बस, संजोए जो ख्वाब थे मिट गए सब दिल से मेरे, अनकहे वो राज़ से ढूँढने जो उजाले गई, अंधेरे सिर्फ हाथ थे मेरे खुशियाँ थी खोई खोई सी, गम से भरे तालाब थे मेरे आज भी बैठे हैं जो लोगों से जुदा अब सितारों में खो गए हम चलो चलते हैं लेकर काफिला यादों का लो दुनिया से अजनबी हो गए हम। -----नेहा अग्रवाल