समझ लो
दर्द -ऐ -दिल लेकर कहाँ जाओगे , ज़माना बुरा है फिसल जाओगे ... फिर आएगा गर ज़ेहन में ख्याल उनका कभी , मिलने की ख्वाइश में तड़प जाओगे … मत करो सितम खुद पर यूँ इस कदर ऐ दोस्त मेरे आंसुओं के सैलाब में गिर , डूब जाओगे … जानते ही हो कितना ज़िन्दगी के बारे में , पल -पल में नए दौर से गुज़र जाओगे … साथी ना सहारा ना हमसफ़र है यहाँ कोई अपना , वीराने में तन्हा हो मचल जाओगे … आखिर हासिल ही क्या होगा इस दीवानगी और चाहत से ..? मैखाने में जाकर बहक जाओगे … आएगा ही कौन जो थाम...