लौट आओ
आँखों में खुद की तस्वीर दिखा के, लबों पे अपने होठों की प्यास जगा के जिस्म से रूह में उतरते हुए, एक चिंगारी से दिल में आग लगा के चले गए हो तुम हमें तड़पाके…. सुलगता रहा जिस्म, बुझी नहीं प्यास दिल में तुम्हारे आने की, लगी रही आस छूने को तुम्हे दिल चाहता रहा ये पागल तो मन ही मन मुस्काता रहा आहें भरते रहे, हम तड़पते रहे याद में तुम्हारी, दिन रात जलते रहे…. राह तकते नयन, अंगड़ाइयाँ लेता बदन वो बिस्तर की सिलवटें, वो अनछुआ एहसास तुम्हारे बिन तो हमें , आता नहीं कुछ रास आके हमें अब बाहों में भर लो नज़रों से अपनी हमसे बातें कर लो…. छोडो ये शर्म , ये लोगों की परवाह अब तो ज़िन्दगी में अपनी हमें शामिल कर लो…. नेहा….
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