दीदार को तेरे तरस गई हैं आंखें मेरी, अब आ भी जाओ, कहीं रूक ना जाएं ये सांसें मेरी.... ....नेहा अग्रवाल
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मान तू दे, सम्मान तू दे, सद्बुद्धि का दान तू दे.. हंस वाहिनी मां शारदे, ज्ञान का अपार भण्डार तू दे... कमल वासिनी हो माते तुम, श्वेत वस्त्र धारण किए मुख कोमल है अति सुन्दर, होंठों पर मुस्कान लिए हो गरिमा तुम हर मानस की, तुमसे ही स्वाभिमान जिए कर कमलों में वीणा शोभित, सुर, लय की हर ताल लिए हम पर भी वर्षा कर दो मां, अपनी प्रेम सरिता की हैं सन्तान तुम्हारी ही हम, तुमसे ही हर शब्द लिए... मिटा अंधकार हृदय से, हमें अपना आशीष तू दे.. ज्ञान दायिनी मां सरस्वती, जीवन में प्रकाश तू दे.. ....... नेहा अग्रवाल